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मानव वास्तव में कोन कहला सकता है

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              मानव वास्तव में कोन कहला सकता है प्रकृति की सबसे अद्वितीय, विशिष्ट एवं अनमोल कृति मानव है, किन्तु आज के विश्व समुदाय में वह अलग -अलग एवं पृथक - पृथक धर्मों के माध्यम से प्रकृति का अनेक नामकरण करके इसकी उपासना करती है यह बात सर्वविदित है और इसमें कोई बुराई भी नहीं है । कि हम उस प्रकृति को आराध्य मानते हैं। जिसने हमें बनाया और हमें तरह-तरह के संसाधनों से सुसज्जित किया। यद्यपि प्रकृति ने सिर्फ हमें ही नही अपितु अन्य जीव जन्तुओं को भी बनाया किन्तु मनुष्यों एवं अन्य जीवों में थोड़ा सा अधिक महत्व मानव जाति को दिया और हमें चिन्तनशील एवं कल्पनाशील अति विकसित मस्तिक दे दिया , कारण यह था कि जैसे एक परिवार का संरक्षक परिवार के अन्य सदस्यों से अनुभवी एवं चिन्तनशील होता है। एक देश का कर्णधार तथा प्रतिनिधित्व करने वाला आम जनता से अधिਜक संवेदनशील एवं निर्णयशील होता है। ताकि वह अपने परिवार अपनी जनता की रक्षा एवं सेवा कर सके ठीक उसी प्रकार प्रकृति ने इस सृष्टि के संरक्षक के रूप में हमें बनाया और इसी कारण मानव को चिन्तनशीलता एवं कल्पना करने की ...